Bhadrakali Mandir Itkhori, Chatra, Jharkhand: History, Distance, Timing, Photos




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  • Vinay Kumar      Co-Founder Queryflag.com    Post

  • माँ भद्रकाली देवी मंदिर चतरा जिले से 30 किलोमीटर दूर इटखोरी में स्थित है यह हिन्दू आस्था का स्थान के अलावा बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी पवित्र स्थल है | मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर माँ भद्रकाली का है इसके अतिरिक्त अन्य देवी देवताओ के भी मंदिर है 

    Maa bhadrakali Mandir Parisar Itkhori
    Maa bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image- Source: Google

     


     

    तो आइये देवी माँ के इस मंदिर के  के बारे विस्तार से जानते है 

    मैं यहां पहली बार साल  2000 ईस्वी  में  गया था | हम लोग चतरा जिला से जा रहे थे  | जाते वक़्त जंगलो के बिच से गुजरते हुए एक दैविक अनुभूति  हो रहा था   |

    तब मंदिर इतना प्रसिद्ध नहीं था जितना आज है यहां भीड़ कम होती थी उस समय यहां तक हमलोग माँ भद्रकाली की आरती भी आसानी से कर सकते थे जिसे वहां के पुजारी संपन्न कराते थे |

     

    Me (Vinay kumar ) 23year ago at Maa Bhdrakali Mandir Itkhori)
    Me (Vinay kumar ) 23year ago at Maa Bhdrakali Mandir Itkhori)

     

    आज 23  वर्ष बीत  चुके हैं समय के साथ  यह धाम अब  काफी प्रसिद्ध हो गया है   और मंदिर परिसर का भी जीर्णोंद्धार हो गया है | यहां दूर दूर से श्रद्धालु माँ काली के दर्शन करने आते हैं  |

    माँ भद्रकाली मंदिर न केवल हिन्दू बल्कि यह बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल है |

     

    maa bhdrakali mandir itkhori chatra
    Maa Bhdrakali Mandir Itkhori Chatra

    मंदिर का इतिहास : 

    माँ भद्रकाली मंदिर का निर्माण खुदाई से प्राप्त शिलालेखों के अनुसार  बंगाल शासक महेन्द्रपाल  ने कराया था|  यह मंदिर भारत के सम्सस्त शक्ति पीठों में से एक है | 
    मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान खुदाई से बहुत सारे मंदिर के अवशेष और मूर्तियां प्राप्त हुई है जिससे पता चलता है यह मंदिर मंदिर बहुत हीं प्राचीन

    मंदिर  अवशेष के अलावा यहां भगवान् बुद्ध की भी अलग अलग मुद्रा की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं जिससे पता चलता है की यह मंदिर स्थान बौद्ध धर्मवालंबियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान था |


    जैन धर्म प्रवर्तक भगवान शीतल नाथ स्थान : प्राचीन अवशेषों से ऐसा पता चलता है यह जैन धर्म के दसवें प्रवर्तक भगवन भगवान शीतल नाथ की जन्मस्थली भी थी खुदाई से अनेक प्रकार की जैन  धर्म से सम्बंधित चिन्ह प्राप्त हुए है जिनमें भगवान भगवान शीतल नाथ  के जोड़-चरण  सबसे महत्पूर्ण है 

    मंदिर तक कैसे जाएं : 

    मंदिर तक विभिन्न स्थानों तक इसप्रकार जा सकते हैं

    चतरा से:

    माँ भद्रकाली इटखोरी का यह धाम चतरा  जिले में स्थित है जो चतरा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है| चतरा से बस या अपनी निजी वाहन से धाम तक जा सकते हैं |

     

    चौपारण से :

    चौपारण G. T. रोड से मंदिर 16 किलोमीटर की दुरी पर है

     

    हज़ारीबाग से:

     हज़ारीबाग़ से माँ भद्रकाली मंदिर 50 किलोमीटर की दुरी पर है

     

    रांची से: 

    रांची से इटखोरी की दुरी 149 किलोमीटर है 

     

    कोडरमा से : 

    60 KM.


    गया से :

     85 KM.

     

    मंदिर परिसर और यहां स्तिथ महत्पूर्ण स्थल:

    मंदिर परिसर 158 एकड़ में फैला हुआ है  |  मंदिर के अंदर जाने के लिए एक भव्य प्रवेश द्वार है  मुख्य द्वार से अंदर जाते हीं आपको एक  दैविक अनुभूति महसूस होगी | 

    Entry gate Maa bhadrakali Mandir Parisar Itkhori
    Maa bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source: Google

    परिसर में मुख्य मंदिर है माँ भद्रकाली देवी मंदिर जिसमें माँ भद्रकाली की अस्टधातु से निर्मित भव्य प्रतिमा स्थापित है |मंदिर के चारो कोनो पर भगवन बुद्ध की ध्यानमग्न प्रतिमाएं हैं | 

    inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google
    inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google
    Astdhatu murti  Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google
    Astdhatu murti Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google

    इस पावन  स्थल को भारत  के  मुख्य शक्ति पीठों में से एक माना  जाता है| मुख्य मंदिर के अलावा अन्य मंदिर भी है

     

    हुनमान मंदिर :

     मुख्य मंदिर के बगल में श्री हनुमान भगवान की पंचमुखी मंदिर है |

     

    राम-जानकी मंदिर : 

    मंदिर परिसर में हीं भगवान् राम-जानकी मंदिर है जहां राम सीता लक्ष्मण ,भगवान  गणेश और विश्वकर्मा भगवन की प्रतिमा स्थापित है जहां भक्त दर्शन के लिए आते है |

     

    चमत्कारी भगवान बौद्ध स्तूप : 

    मंदिर परसिर से उत्तर -पश्चिम दिशा में भगवान् बुद्ध  का 15 फ़ीट ऊँचा बौद्ध स्तूप स्थित है जो मुख्य आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इसमें 1004 छोटे छोटे और चार बड़े भगवान बुद्ध के विभिन्न मुद्राओं में प्रतिमा उत्कीर्ण की हुई है जो मूर्तिकला का एक मुख्य का  एक उत्कृष्ट उदाहरण है | यह बौद्ध स्तूप 6-7  फ़ीट ही  जमीन के ऊपर  है बाकि अन्य हिस्सा जमीन  के अंदर है | स्तूप का सबसे बड़ा चमत्कार ये है की इसके ऊपरी हिस्से से जल रिसता रहता है और फिर ऊपर  गड्ढे में इकठा हो जाता है | जो विज्ञान के लिए एक रहस्य और भक्तों के लिए चमत्कार का विषय बना हुआ है |

    1008 Baudh stup
    Baudh Stup inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google

     

     

     

    भगवान शीतल नाथ की जन्म स्थली : 

    मंदिर परसिर से 500 मीटर की दुरी पर उत्तर पश्चिम दिशा में जैन धरम के 10वें   गुरु भगवान् शीतलनाथ का मंदिर स्थापित है | ऐसा माना जाता है की भगवान् शीतलनाथ का जन्म इसी स्थल में हुआ था |  1980 दशक में खुदाई से यहां भगवन शीतलनाथ के जोड़-चरण प्राप्त हुए |

     

    शहस्त्र शिवलिंग मंदिर :

     मुख्य मंदिर  परसिर के बगल में ही भगवान शिव मंदिर है जहां शिव भगवान की शहस्त्र शिवलिंग स्थापित है |  इस  शिव लिंग  में  भगवान शिव के 1008 छोटे-छोटे शिवलिंग बना हुआ है | मंदिर के बाहर एक हीं पत्थर से निर्मित  शिव जी के वाहन नंदी की विशाल और सुन्दर प्रतिमा स्थापित है जो वास्तुकला का एक सुन्दर उदहारण है |

     

    शहस्त्र शिवलिंग मंदिर itkhori
    शहस्त्र शिवलिंग मंदिर

     

    Shiv Mandir inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori
    Shiv Mandir inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google

     

    संग्रहालय :

    मंदिर परसिर और आस पास खुदाई के दौरान हिन्दू-बौद्ध-जैन धर्म से सम्बंधित  बहुत सारे मंदिर अवशेष शिलालेख और मुर्तिया प्राप्त हुई जिन्हे एक संग्रहालय  में रखा गया है |  यहां  आकर पूजा करने के  बाद एक  प्रवेश शुल्क जमा कर इसे देख सकते हैं | 

    Museum inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google
    Museum inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google
    news-cuttMuseum inside Maa Bhadrakali Mandir Parisar

     

     

    क्यों पड़ा इटखोरी का नाम :

     इटखोरी का नाम इटखोरी पड़ने के पीछे भी एक ऐतहासिक घटना है कहा  जाता है की भगवान बुद्ध  घर छोड़ने के बाद इसी स्थान पर तपस्या कर रहे थे और उनकी मैसी उनको खोजते हुए आयी  उन्होंने भगवान बुद्ध  को कई बार पुकार लगाई लेकिन वो तपस्या में लीन थे | तब उनकी  मौसी ने कहा  इति-खोरी जिसका मतलब है लगता है यही खो गए | बाद में यह स्थान इटखोरी के नाम से प्रचलित हो गया |   

    क्यों पड़ा इटखोरी का नाम

     

    इटखोरी महोत्सव: 


    इटखोरी महोत्सव प्रत्येक वर्ष फरवरी महीने में मनाया जाता है जहां देश विदेश से कई जाने माने कलाकार आते है इस समय मंदिर परिसर की सजावट की जाती जो अद्भुत होती है |  

    Ithkhori Mahotsaw  Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google
    Ithkhori Mahotsaw  Maa Bhadrakali Mandir Parisar Itkhori | image Source :Google
    इटखोरी महोत्सव
    इटखोरी महोत्सव in news paper cutting

     

     

     

     

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