घाघारी धाम एवं वाटर फाल : खूंटी जिले के लिपुन्ग्ग प्रखंड, देवगांव में स्थित चारो तरफ जंगलो
के बिच प्रकृतिक के गोद में समाया हुआ ये स्थान, जो अपने अद्भुत मनोरम प्राकृतिक छटा और धार्मिक महत्व के कारण पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करता है | तो आइये इस मनमोहक स्थान के बारे में विस्तार से जानते है|
नोट : घाघारी धाम एवं वाटर फाल लापुंग में है जबकि अपर और लोअर घाघरी वाटर फॉल इस वाटर फॉल से अलग है जो नेतरहाट में है
200 साल पुराना शिव मंदिर:
घाघारी धाम एक बहुत हिन् प्राचीन शिव मंदिर जो लगभग 200 साल पुराना है | सन 1932 से जब यहाँ साधु माहत्मा आने लगे तब लोगों को पता चला की यहां शिव लिंग है तभी से शिव भगवन की पूजा होती आ रही | भगवान् शिव के दर्शन के लिए बहुत दूर दूर से लोग आते हैं और उनका आर्शीवाद लेते हैं | इसके अलावा वहां हुनमान मंदिर और दुर्गा शक्ति मंदिर है जिसका भक्त पूजा अर्चना करते हैं | मंदिर तक जाने का रास्ता पहले कठिन था लेकिन अब पुल बन गया जिससे श्रद्धालु आसानी से मंदिर तक जा पते है |
मंदिर के चारो तरफ घना जंगल जिसकी सुंदरता देखते हीं बनता है|
दुर्गा मंदिर :
मुख्य शिव मंदिर के बगल में दुर्गा मंदिर है जिसमे माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा विराजमान है जिनकी पूजा भक्त गण करते हैं|
हनुमान मंदिर:
मंदिर के निकट हुनमान मंदिर भी है जिसमे बजरंग बलि की मूर्ति विराजमान है जहां भक्त पूजा करते है |
शेष नाग की गुफा :
मंदिर से नीचे पथरीली रस्ते से जाने पर एक शेष नाग का गुफा भी है जहां शिव मंदिर से पूजा करने के बाद श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं | चूँकि गुफा जाने का रास्ता बड़े बड़े पत्थरों से होकर जाता है इसलिए आपको वहां जाते वक़्त अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए |
वॉटरफॉल (जलप्रपात ):
मंदिर के पीछे हीं वाटरफाल है जहां आपको पानी के पत्थरों पर गिरने की कल कल ध्वनि सुनाई देगी | मंदिर से पूजा करने के बाद आप वॉटरफॉल का रोमांचित करने वालाअनुभव ले सकते है |
जब पत्थरों से गिरते पानी जो आपके पैरों को छू कर निकलता है तो उसका अनुभव अविस्मर्णीय होता है |
लेकिन पत्थर फिसलने वाले होते है इसलिए पानी में जाते समय आपको अतरिक्त सावधानी बरतना चाहिए और आपको ज्यादा अंदर तक पानी में नहीं जाना चाहिए |
शिव लिंग से जुडी मान्यताएं :
जो भी श्रद्धालु वहां जाते है शिव लिंग की पूजा करने के बाद दोनों हाथो से उन्हें गले लगाते क्योंकि ऐसा मान्यता है की शिवलिंग को गले लगाते समय अगर दोनों हाथ आपस में जुड़ जाते हैं तो जो भी भगवन शिव से जो भी मन्नत मांगते है वो पूरी हो जाती है
रांची से घाघारी धाम की दुरी लागग 50 किलोमीटर है यह खूंटी जिले लिपुन्ग् प्रखंड के देवगांव में स्थित है | बेड़ो से धाम की दुरी लगभग 12 किलोमटेर है | मेन रोड से पांच किलोमटेर विलेज रोड से जाने पर आप वहां पहुंच जायँगे |
धाम तक जाने की कनेक्टिविटी अच्छी है |
चूँकि रास्ता जंगलों से होकर जाता है और उधर कच्ची वाले हीं सड़क है इसलिए धाम तक जाने के लिए कोई भी पब्लिक साधन नहीं है |
अगर आप घाघारी धाम के वाटर फॉल का एडवेंचर और जंगल के प्राकृतिक मनमोहक रोमांचित करने वाले दृश्य का आनद लेना चाहते हैं तो आप रांची से अपने प्राइवेट गाड़ी से जाने का पलानिंग कर सकते है
अगर आप अकेले या दो लोग है तो बाइक सेभी जा सकते है
घाघारी धाम जाने का सही समय है दिसम्बर और January का महीना है क्योंकि इस समय मौसम अच्छा होता है जो पिकनिक या घूमने के लिए अच्छा समय है | 14th से 15th जनवरी को यहां मेला लगता है जिसे आप देखने जा सकते है |
सावन के महीने में यहां श्रद्धालओं की भारी भिड़ होती |
वर्षा ऋतू जब वर्षा हो रही हो तो यहां जाने से आपको बचना चाहिए क्योंकि उस समय वाटर फॉल में पानी की मात्रा काफी बढ़ जाता है और पथरों पर पैर फिसलने का खतरा बना रहता है |
चूँकि ये स्थान जंगलों के आउटर एरिया में है इसलिए वहां ज्यादा कुछ नहीं है | गावं के लोग हीं कुछ छोटे मोटे दुकान लगाए हुए हैं जहां आप प्रसाद या फिर पानी, बिस्कुट और दूसरे कूकीज को ले सकते है |
वाटर फॉल की चट्टाने सीधी हैं इसलिए मंदिर से निचे उतरते समय काफी सावधानी बरतना चाहिए | इसके अलावा यहां रात को रुकने का कोई सुविधा नहीं है इसलिए आपको कोशिश करनी चाहिए की शाम पांच बजे तक वहां से निकल जाये |
साई मंदिर बेड़ो
जब आप घाघारी धाम से रांची लौट रहे होंगे तो लगभग 15 मिनट की यात्रा तय करने पर घघारी से 7 किलोमीटर की दुरी पर साई मंदिर जहां आप को जरूर जाना चाहिए
यहां पर साई मंदिर में बाबा साई का आप आर्शीवाद लेने के बाद आप गार्डन में घूम सकते है जो मुख्य आकर्षण का केंद्र है | मंदिर का शांत महौल और गार्डन के फूल आपको एक अलग शांति की अनुभूति कराते है |
गार्डन में आपको अलग फूलों की क्यारिया देखने को मिलेगी जो आपका मन मोह लेगी |
आधे घंटे तक यहां रुकने के बाद आप अपनी यात्रा प्रारम्भ कर है |
लतरातू बांध, लापुंग:
Latratu dam.